लेखनी कविता -भाई, छेड़ो नही, मुझे -माखन लाल चतुर्वेदी

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भाई, छेड़ो नही, मुझे -माखन लाल चतुर्वेदी  भाई, छेड़ो नहीं, मुझे  खुलकर रोने दो  यह पत्थर का हृदय  आँसुओं से धोने दो, रहो प्रेम से तुम्हीं  मौज से मंजु महल में, ...

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